जब वो करीब होता है
तब मैं, मैं कहाँ होता हूँ.
वो जिधर का रुख करता है
मैं वहाँ- वहाँ होता हूँ.
वो हँसता है, हँसता हूँ
जब रोता है, रोता हूँ.
उसे रात को ही मिलती है फुर्सत
इसलिए दिन में सोता हूँ.
ख़्वाब भी अब मेरे कहाँ
उसके ही ख़याल बोता हूँ.
जितनी देर जुदा हो मुझसे
उतना ही उसे खोता हूँ.
जब वो करीब होता है
तब मैं, मैं कहाँ होता हूँ.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
हार्दिक शुभ कामनाएं !
ReplyDeleteअच्छा है अंदाज़े-बयाँ।
सुस्वागतम्।