तुम रुला लो मुझे
हाँ मगर
इतना नहीं
कि रो रो के फिर से
संभालना भी मुश्किल, हो जाये
यूँ तो मौत से डर
लगता नहीं पर
मर मर के मालिक
जीने की आदत, हो जाये
अगर तू खुदा है
खुदा ही रहना
इंसान बनने की
कोशिश ना करना
कशिश है मज़ा है
रंजो ग़मों में
खबरदार तुझको, इसकी ना लत, हो जाये
मजबूरियों का
तमाशा बनाकर
मजे लूटना तुम
अगर हार जाऊं, कभी गिड़गिड़ाऊँ
मुंह फेरना तुम
तुझे इल्म हो और
तेरी दिल्लगी पे, नदामत१, हो जाये
१. शर्मिंदगी
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
1 year ago