Friday, July 24, 2009

उनका पहला ख़त

उनका ख़त मिला
ख़त में था लिखा
सब हाल उनके दिल का.

लिखते हैं वो शुरू में
मेरी जान ए मेहरबां
मर मर के जी रही है
सुन तेरी दिलरुबा.
आगे लिखा है ख़त में
उन आंसुओं को पीके
तेरी आशिकी में जानां
सौ बार मरे हैं जीके.
गिरती हूँ मैं संभलकर
टकराई कई बार
कुछ होश नहीं रहता
जबसे हुआ है प्यार.

सखियों से हुई लड़ाई
कहें याद नहीं रहता
कैसे उन्हें बता दूं
दिल पास नहीं रहता.
अम्मी भी पूछती हैं
क्या ठीक नहीं तबियत
उनसे भी क्या बताऊँ
क्यूँ ले लिया मुसीबत.
तकिये के नीचे
तेरी तस्वीर रखती हूँ
जब दिल लगे सताने
चूमकर देखती हूँ.

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