हुस्न होगा वो ज़माने के लिए
अपने लिए तो यारों
मौत का सामान था.
मुज़र्दी में कटी तमाम ज़िन्दगी
उम्मीद बाकी थी मौला
मय्यत में लाएगा रिश्ता कोई.
क़यामत के दिन जब पूछेगा खुदा
मरने का सबब
हसीनों पे इल्जाम देंगें.
फैसले से मुहब्बत करना होता
तो तुमसे ही क्यूँ?
इस ज़माने में हसीं और भी हैं.
सुना है लवों को लवों से टकराओ
तो आग निकलती है
अब यही आजमा कर देखना है.
तुम आये ज़िन्दगी में तो ख्याल आया
हम तनहा ही अच्छे थे, यारों.
ख्वाहाँ थे हम उसकी आँखों के जाम के
देखो ज़रा खुदाई
पानी भी नसीब नहीं हुआ.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
लगता है गहरी चोट खाये हुये है .............यह नज़्म भी यही कुछ बयान कर रही है ..........शुभकामनाये
ReplyDeleteMaut ke saman ko gale lagakar
ReplyDeletetune to maut ko pahle hi mahsoos kar liya
Karna chahiye tha ada apko,shukriya us hasina ka
par apne to unko bewafa nam de diya
shikayat kya kare koi khuda se hasinon ki
usne to inhe banaar apna kam asan kar diya...................HOW IS YOUR URDU SO GOOD?I MEAN U R NOT A MU..AS UR NAME IS D.TIWARI
Well thanx a lot for all your comments. Hmmm. . . Urdu does not belong to any particular community. It was born in my country.
ReplyDelete