तुम तक पहुँचने के लिए काँटों से दोस्ती की
न था मालूम दिल में, भौरों को पनाह मिलती है.
लोगों ने कब्र खोदी थी किसी शायर की
लिफाफे में बंद, हसरतें मिलीं.
दिल में सुलगे थे अरमान पहले से कई
वो गैरों से बात करते हैं, हमें जलाने के लिए.
मुहब्बत तुमको भी है, मुहब्बत हमको भी है
तुम छुपाने में रहते हो, हम कहने से डरते हैं.
जान प्यारी होती, मिर्जा
तो अब्बा हजूर का बिज़नस सँभालते. . .
इश्क शौकिया थोड़े किया था.
मौत दर पे खड़ी है दुल्हन की तरह
जाना ही होगा, वक़्त आ गया रुखसती का.
ज्योतिकृष्ण वर्मा
8 hours ago

No comments:
Post a Comment