बात इतनी सी नहीं
कि तुमने ख़त लिखा
ख़त लिखने के पहले
कुछ सोचा होगा
बहुत कुछ महसूस किया होगा
तुमने याद किया होगा
पुरानी बातें
हमारी मुलाकातें
होंठों को चाटा होगा
दबाकर काटा होगा
हंसी भी छूटी होगी
पलकें मूँद कर
आँखों को मींचा होगा
साँसों को छोड़ा होगा
कुछ परेशानी में
कुछ बेकरारी में
इधर उधर
टहला होगा
सोफे पर बैठ कर भी
बेचैनी हुई होगी.
फिर ख़त लिखने का ख्याल आया होगा
लेकिन समझ में नहीं आया होगा
कि शुरू कहाँ से करें.
हाथ कांपें होंगें
दिल धड़का होगा
पसीने टपके होंगें
लिखकर काटा होगा
फिर से लिखा होगा
सोच सोचकर
कई दफा तुमने
मुस्कुराया भी होगा
मैं सब कुछ महसूस कर सकता हूँ
इस ख़त को पढ़कर
ज्योतिकृष्ण वर्मा
8 hours ago

web cam laga tha kya!!!!!!!!!!!hahaha
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