बस और ट्रेन के धक्कों से
सीधी हो जाती है कमर
सारा दिन धुंआ और धुल से
पेट जाता है मेरा भर
और जो रहा सहा होता है
सब भूल जाता है, पीकर.
That's Mumbai
The city, I hate to love.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
दिल की बात, सीधे दिल से
isliye tera chulha nhi jalta hai ghar
ReplyDeletejindgi kat rahi hai biscuit khaker
seedhi hoti hai kamar chatayee par sokar
kya jindgi hoga jeekar