Sunday, June 6, 2010

मुंबई

बस और ट्रेन के धक्कों से
सीधी हो जाती है कमर
सारा दिन धुंआ और धुल से
पेट जाता है मेरा भर
और जो रहा सहा होता है
सब भूल जाता है, पीकर.

That's Mumbai
The city, I hate to love.

1 comment:

  1. isliye tera chulha nhi jalta hai ghar
    jindgi kat rahi hai biscuit khaker
    seedhi hoti hai kamar chatayee par sokar
    kya jindgi hoga jeekar

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