तुम चली गयी मगर
यादों के पुराने से
नन्हे नन्हे खिलौने दे गयी
कुछ अभी तक रंगीन हैं
कुछ बदरंग से हो चुके हैं
किसी की टांगें टूट चुकी हैं
किसी का सर
फिर भी मैं इनसे खेलता हूँ
मुझे सब याद आता है
वह लम्हा, वह दिन
वह तारीख, साल
कब ये तोहफे तुमने दिए थे
पता है
ये खिलौने
आज भी तुम्हारी
हूँ-ब-हूँ नक़ल करके
बताते हैं कि
कैसे तुम मुस्कुराती थी
शर्माती थी
तुम्हे गुस्सा बहुत आता था
और मेरा ज्यादातर वक़्त
तुम्हे मनाने में जाता था
ये सब तुम्हारी कमी का
एहसास नहीं होने देते
अक्सर इनसे खेलता हूँ
अब वक़्त यूँ ही कटता है
इस ज़िन्दगी में
सब कुछ कमाया
बहुत कुछ उड़ाया
ईश्वर मुझ पर ज्यादे ही मेहरबां रहे
इतना कि लोग
मेरी तकदीर से जलने लगे
कुछ बिगाड़ सकते तो जरूर बिगाड़ लेते
आलिशान बँगला
बैंक बैलेंस, रूतबा, शोहरत
खूबसूरत बच्चे
उनसे भी खूबसूरत
नाती पोते
किसी शख्स को और क्या चाहिए
ज़िन्दगी से?
मगर आज
तुम्हारी कमी खलती है
पहले भी खलती थी
लेकिन अब और ज्यादे खलती है
जब अकेला होता हूँ
सोचता हूँ
तुम साथ होती
तो इस खेल में
और भी मज़ा आता.
दौलत कमाने के नशे में
बहुत सारी बातें
बेमौत मर गयीं
दफन भी हो गयीं
और आज जब
रात भांय भांय करती है
जब दोपहर चुभती है
जब शामें
सिरहन पैदा करती हैं
तो सारी बातें एक एक करके
परेशान करने लग जाती हैं
मेरे साथ
एक कप चाय पीने के लिए
तब तुम तरसा करती थी
अब मैं तरसता हूँ.
तुम्हारे कुरवत के पलों को
याद कर करके
ज़िन्दगी के खट्टेपन में
मिठास घोलने की कोशिश करता हूँ
पर अब धीरे धीरे
यह भी अपना असर
छोड़ने लगे हैं
बहुत बोरियत सी होती है
एक ही खेल खेलते हुए
वैसे भी
कोई भी खेल
अकेले नहीं खेला जा सकता.
कल मैं
पूरे छिहत्तर का हो गया
मगर किसी को
मेरी सालगिरह कहाँ याद?
वैसे सालगिरह बच्चों की मनाई जाती है
लेकिन
कोई 'विश' तो कर ही सकता था!
तुम होती तो. . . . .
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
uff. na kar fariyad na kar
ReplyDeleteyad aati hai to yad kar
par yad karke yad ko badnam na kar