जब सारी दुनिया सो जाती है
तब भी मैं जागता रहता हूँ
कोरा कैनवास लेकर
इन्तजार करता हूँ
किसी ऐसे ख्याल का
जो आकर रंगों भरा
ब्रश घूमा देगा
हवाओं से छानता रहता हूँ
खुशबू वाला पैगाम
जो गजल बनके
कागजों पर उतरेगा
पलकें मूंदे रात गए
राह देखता हूँ
किसी परिचित से ख़्वाब का
जो बरसों पहले आया था
कयास लगाता हूँ
कोई पायल झनकी है
कोई चूड़ी खनकी है
यूं ही बेमतलब ही
रोज की तरह
जानता हूँ
कोई नहीं आने वाला
कोई नहीं आएगा
मगर बस यूं ही
दिल बहलाने के लिए.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
1 year ago
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