Sunday, June 20, 2010

इंतज़ार

जब सारी दुनिया सो जाती है
तब भी मैं जागता रहता हूँ
कोरा कैनवास लेकर
इन्तजार करता हूँ
किसी ऐसे ख्याल का
जो आकर रंगों भरा
ब्रश घूमा देगा

हवाओं से छानता रहता हूँ
खुशबू वाला पैगाम
जो गजल बनके
कागजों पर उतरेगा

पलकें मूंदे रात गए
राह देखता हूँ
किसी परिचित से ख़्वाब का
जो बरसों पहले आया था

कयास लगाता हूँ
कोई पायल झनकी है
कोई चूड़ी खनकी है
यूं ही बेमतलब ही
रोज की तरह

जानता हूँ
कोई नहीं आने वाला
कोई नहीं आएगा
मगर बस यूं ही
दिल बहलाने के लिए.

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