आप हमसे ना रूठा करें जानम
रुठिये गर तो मान जाइए भी.
अपनी जुल्फों को बाँध के रखिये
खुली जुल्फें तो बस क़यामत हैं
वैसे हैं इक छुई मुई सी कली
पर जमाने के लिए आफत हैं
आप गुस्से में और हसीं लगती हैं
तुनकिये पर थोड़ा मुस्कुराइए भी.
आपकी आँखों में बोतल का नशा
हर अदा आपकी औरों से जुदा
आम इंसानों की बात ही क्या है
आह भरता होगा खुदा
कबसे दिल थाम के बैठे हैं
इठलाकर बाहों में आइये भी.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
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