गिर्दबाद१ से उठते हैं
दिल में रह रह के
गाह-ब-गाह२,
बस इस ख्याल से ही कि
तुम किसी और की हो जाओगी.
एक दस्तगीर की तरह
खड़ी थी तुम मेरे
दुःख में दर्द में
दम ब दम३
कैसे सह पाउँगा
तुम्हारी जुदाई.
यह वक़्त यह दहर४
रुकता नहीं
कभी किसी के लिए
भला रुकी हैं आबोरावां५?
गुजरान६ तो हो ही जाएगी
मगर
तेरे बगैर
नातमाम७ रह जाएगी ज़िन्दगी.
१ बवंडर, २ कभी कभी, ३ हर पल, ४ जमाना, ५ बहता पानी, ६ गुजर, ७ अधूरी
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
1 year ago
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