कौन सुनता है तेरे दिल की बात
दिल तो बेकस है बेजुबान.
वो जिसे चाहता है दिलोजान से तू
देख तो कितना है बदगुमान.
ग़म -ए- इश्क ने मारा जिसको भी
होता कैसे नहीं लहू लहान.
चल दिया उकता कर दिल से एक दिन
बुझ गया है अब चिराग- ए- जहान.
भीड़ में खो गया हूँ ऐसे
जिस्म से रूह हो जैसे अनजान.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
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