बारिश में मज़ा कहाँ
अगर छत छूती हो,
घुटने तक पानी में
घर से बाहर जाना हो,
ट्रैफिक में कार फँसी हो,
या पहिया पंचर हो जाये
आपकी दुपहिये का,
कीचड़ भरे सड़क पर
लगभग दौड़ते हुए
बस पकड़नी हो,
या एक बहुत जरूरी मीटिंग में
जाना हो.
बारिश का मज़ा तो तब है
जब घर बैठे
खिड़की से मुसलाधार बारिश का
नज़ारा देखा जाए
धुली धुली वादियों के बीच
गरमा गरम पकौडे के साथ चाय का
आनंद लिया जाए.
या फिर
उनकी बाहों में बाहें डाले
भींगने का लुत्फ़ उठाया जाए.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
1 year ago
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