Wednesday, January 25, 2012

तजुर्बा- २

सुना है दर्द में दर्द का एहसास नहीं होता
बुरा हो वक़्त तो कोई हमदर्द पास नहीं होता.
यूँ तो किसी भी बात पे रोना आ सकता है मगर
अश्क निकलते नहीं ग़म जब बेइन्तेहाँ होता है.
तुम्हें मिल जायेगें हर मोड़ पे नए नए दोस्त
उसकी कमी तो रह जायेगी वो जो जुदा होता है.
क्यूँ गिला शिकवा किया नहीं कभी हमसे
चुप रहना, कुछ न कहना ज्यादा बुरा होता है.
उसने पूछा कि हम तनहा क्यूँ हैं अब तक
बेशकीमती चीज़ों का सौदा नहीं होता है.

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