Monday, February 6, 2012

कुछ ज़िन्दगी के नाम

ज़िन्दगी तुझपे कई एहसान हैं मेरे
देख मैं जिंदा हूँ सौ ग़म खाके भी.
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जिस तरह मौत अमादा थी गले लगाने को
काश कि तुझे मेरी जुस्तुजू भी होती.
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या खुदा तूने दिया क्या इक ग़म के सिवा
चल तुझपे इक ज़िन्दगी उधार रही.

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