ज़िन्दगी तुझपे कई एहसान हैं मेरे
देख मैं जिंदा हूँ सौ ग़म खाके भी.
______________________________
जिस तरह मौत अमादा थी गले लगाने को
काश कि तुझे मेरी जुस्तुजू भी होती.
______________________________
या खुदा तूने दिया क्या इक ग़म के सिवा
चल तुझपे इक ज़िन्दगी उधार रही.
No comments:
Post a Comment