Sunday, October 9, 2011

बच्चों के लिए स्वच्छता पर एक कविता

सुबह सवेरे जब भी उठो
ब्रश करना कभी ना भूलो
फिर करो चेहरे के सफाई
बड़ा जरूरी है ये सब भाई.

है खाना जैसे रोज जरूरी
उतना ही जरूरी है रोज नहाना
गर्मी सर्दी कोई हो मौसम
करो ना कोई कभी बहाना.

परहेज़ करो बाहर की चीज़ों से
खाओ धोकर फल- तरकारी
अगर ना मानो मेरी बातें
होगी तुमको निश्चय बीमारी.

डरेगी तुमसे हर बीमारी
खाओ पीओ बस ठीक तरह से
कुट्टी कर लो गंदी चीज़ों से
और ठाठ करो तुम रहो मज़े से.

खेलोगे कूदोगे पढोगे
तभी जो तुम स्वस्थ रहोगे
आस पास तुम रखो सफाई
इसी में है हम सबकी भलाई.

4 comments:

  1. Very very sweet poem....very motivational also from kids point of view. I thoroughly enjoyed.

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  2. beautiful lines .thnx for this poem as i had taken it for our school assembly.

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  3. what a poem !!!! I had taken this poem for my holiday homework

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  4. this was my holiday homework thanks for this poem

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