सुबह सवेरे जब भी उठो
ब्रश करना कभी ना भूलो
फिर करो चेहरे के सफाई
बड़ा जरूरी है ये सब भाई.
है खाना जैसे रोज जरूरी
उतना ही जरूरी है रोज नहाना
गर्मी सर्दी कोई हो मौसम
करो ना कोई कभी बहाना.
परहेज़ करो बाहर की चीज़ों से
खाओ धोकर फल- तरकारी
अगर ना मानो मेरी बातें
होगी तुमको निश्चय बीमारी.
डरेगी तुमसे हर बीमारी
खाओ पीओ बस ठीक तरह से
कुट्टी कर लो गंदी चीज़ों से
और ठाठ करो तुम रहो मज़े से.
खेलोगे कूदोगे पढोगे
तभी जो तुम स्वस्थ रहोगे
आस पास तुम रखो सफाई
इसी में है हम सबकी भलाई.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
Very very sweet poem....very motivational also from kids point of view. I thoroughly enjoyed.
ReplyDeletebeautiful lines .thnx for this poem as i had taken it for our school assembly.
ReplyDeletewhat a poem !!!! I had taken this poem for my holiday homework
ReplyDeletethis was my holiday homework thanks for this poem
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