वो तो आये नहीं इस बार
तनहा फिर कटेगी शाम.
बेकरारी बढ़ी फिर से
परेशां इस कदर है दिल
संभाले कैसे खुद को हम
ना वो आये नज़र कबसे.
ना आया ही कोई पैगाम
तनहा फिर कटेगी शाम.
उनकी बातों में जादू है
नशा आँखों में है यारों
झूम कर चलें ऐसे
मचल जाएँ दिल के अरमाँ.
मज़ा देता नहीं अब जाम
तनहा फिर कटेगी शाम.
डूबकर यादों में उनकी
गुजर जाए ये ज़िन्दगी
ना कोई और ख्वाहिश है
सिवा चाहें उन्हें यूँ ही.
लव पे आये उन्ही का नाम
तनहा फिर कटेगी शाम.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
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