क्या मिला, क्या खो दिया
ज़िन्दगी के इस सफ़र में. . .
किसे रुसवा किया, धोखा दिया
किसको हंसाया, किसको रुलाया
किसे गम दिया, किसको ख़ुशी
कितने वादे किये झूठे.
आओ करें इसका हिसाब.
कितने आंसू रोये छुप छुप के
सिसकियाँ भरी, गश खाए
किस बात ने गुदगुदाया
क्या सोचकर आँखें छलकीं.
इस पर लिखें कोई किताब.
कितने चेहरे जो याद हैं?
पूछो दोस्तों के नाम
कभी हुआ दुआ सलाम या
कह दिया अलविदा फिर मिलेंगें.
कभी पूछा क्या हाल है जनाब?
काश कि कभी सर उठाकर
देखा होता आसमां का रंग
हवा से खुशबुओं को छानकर
चखा होता किसी दिन.
मिल गया होता हर जवाब.
मंत्रमुग्धा / कविता भट्ट
2 years ago
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