Saturday, July 3, 2010

ज़िन्दगी क्या है

कुछ लफ्ज़ ऐसे होते हैं
जिन्हें बयाँ कर पाना
उनके बारे में कुछ
कह पाना
बेहद मुश्किल होता है
मसलन एक लफ्ज़ है
ज़िन्दगी!!

ज़िन्दगी
लम्हों और एहसासों के बीच का
एक अजीबोगरीब रिश्ता है
अमीक रब्त है उनका
जैसे हर लम्हा अलग है
एक दूसरे से
वैसे ही
हर एक एहसास जुदा जुदा है
एक दूसरे से
कभी जब सोचता हूँ
कि कितना कुछ लिखा है
मैंने इस ज़िन्दगी के बारे में
तो हर बार लगता है
अभी कितना कुछ है लिखने को
बहुत कुछ बाकी है अभी
जिसे सोचा तक नहीं
अभी देखा ही कहाँ ज़िन्दगी को
ठीक से.

ज़िन्दगी एक ख्याल है.
ख़्वाब है.
अनसुलझी पहेली या अधूरी रह गयी
जरूरत
जज्बात, मौसिकी या एक खूबसूरत ग़ज़ल?
यादों की हरी डालियों पर
बातों की कोमल पत्तियाँ है ज़िन्दगी
आसूँओं की बरसात में
धुली उन पत्तियों की लताफत है ज़िन्दगी
वक़्त की रफ़्तार से
तेज़ है ज़िन्दगी
नाज़ुक कभी चट्टान है ज़िन्दगी
दरिया के पानी की तरह मगरूर है
ज़िन्दगी
खुदा की सनक है
इंसानी दुआ है ज़िन्दगी
जहां समझा शुरुआत है
वहीँ ख़त्म मिली है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
तू ही बता
क्या है
ज़िन्दगी!!

4 comments:

  1. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति!

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  2. यही तो मुश्किल है जितना जानने का दावा करोगे उतनी ही अनजानी बन जाती है ज़िन्दगी।
    कल के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।

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  3. जब तक हम ये जान पाते हैं कि ज़िन्दगी क्या है तब तक ये आधी ख़तम हो चुकी होती है.

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